आगरा(arohanlive.com) । मानव का अस्तित्व क्या है? उसका रूप-रंग क्या है? जीवन में उसका क्या महत्व रहता है। मानव की तुलना विविध सुंगध के फूल से करते हुये उसकी हर एक स्थिति को बयां किया है साहित्यकार, कवि एवं लेखक श्री विश्वेश्वर दयाल अग्रवाल ने अपनी रचना- जड़-चेतन का संगम है में। इस कविता के सोच की गहराइयों में जाकर चिंतन करने की जरूरत है।
जड़-चेतन का संगम है…
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