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Special on Makar Sankranti: sooryoday bela mein…

आगरा(arohanlive.com) । मकर संक्रांति से सूर्यदेव उत्तरायण में आ जाएंगे। यह वर्ष  श्री अरविंद का 150वां जन्मशताब्दी वर्ष और आजादी का अमृत महोत्सव भी है। मकर संक्रांति पर सूर्य जड़-जगत में जीवन का संचार हो जाता है। सूर्य नमस्कार किया जाता है। इस मौके पर  प्रख्यात साहित्यकार, कवि, लेखक एवं विचारक श्री विश्वेश्वर दयाल अग्रवाल की रचना- सूर्योदय बेला में की मनोहारी रचना का आनन्द लीजिये।

 

सूर्योदय बेला में…

(श्री विश्वेश्वर दयाल अग्रवाल)

 

धरा भई स्यानी,

अंग-अंग लाली फूटी,

यौवन छवि आई,

सरोज खिले सरोवर,

मन चिरिया चहचाही,

रजत ऋंगार किए धरा।

उषा बिंदिया लगाई,

नींदें टूटी बालापन की,

तरुनाई ली अंगड़ाई,

जोगन बहु मुस्काई,

श्रद्धा-भक्ति बढ़े संतों की,

प्रातःकाल जबहि आई।

नव फूल खिले चेतन के,

विश्वास बगिया खिल जाई,

आत्मदृष्टि बढ़े तिल-तिल,

कच्ची अमिया पकि जाई,

सत्य किरन चमके हृदय,

नव शक्ति भर जाई।

टूटें बेड़ी अज्ञान बंधन

भक्त हृदय खिल जाई…

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