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श्री विश्वेश्वर दयाल अग्रवाल

Sri Aravind guru pad vishraam karou

आगरा (arohanlive.com) गुरु के प्रति त्याग भाव को लेकर प्रख्यात साहित्यकार, कवि, लेखक एवं विचारक श्री विश्वेश्वर दयाल अग्रवाल की रचना- श्री अरविंद गुरु पद विश्राम करूं भावविभोर करने वाली है।

 

श्री अरविंद गुरु पद विश्राम करूं…

(श्री विश्वेश्वर दयाल अग्रवाल)

 

श्रीगुरु हरि पद –सागर विश्राम करूं,

आठों पहर गोताखोरी मस्त रहूं मैं,

नव जीवन पाऊं हर डुबकी में,

रोम-रोम पवित्र करूं मैं।    

पतवार बनाऊं श्री अरविंद गुरु लेखन,

काल-माया पार करूं मैं,

परित्याग करूं सग ताल-तलइय्या,

स्वामी पद-पंकज प्राण तजूं मैं।

श्रद्धा भक्ति पहनूं गहने,

काम-क्रोध श्रंगार तजूं मैं,

अमल रहूं स्वामी-सागर,

न काहु जल प्रवेश करूं मैं।

सेवा करूं अंतिम सांसों तक,

आशक्ति-भंवर नाहि फसूं मैं,

गुरु हरि मिल जाऊं पूरन,

देह त्याग उनके लोक बसूं मैं।

रोम-रोम पवित्र करूं मैं….

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