आगरा (arohanlive.com) । योग मात्र एक शारीरिक व्यायाम ही नहीं, बल्कि जीवात्मा का परमात्मा से मिलन का योग है। विश्व योग दिवस के अवसर पर साहित्यकार, कवि, विचारक रहे श्री विश्वेश्वर दयाल अग्रवाल की रचना- पूरन योगी शिवणां।
पूरन योगी शिवणां
(श्री विश्वेश्वर दयाल अग्रवाल)
शिव आसन पूर्ण योगा,
द्वार सर्व-आत्मा,
स्तम्भ वैराग्य विश्वासा,
पूरन योगी शिव स्वरूपा।
पूर्णयोग, यज्ञ दिव्य पुरुषा,
भंजन हारी जड़ता-ममता,
तप मिलन धरती-आकाश,
अखण्ड आरोहण शक्ति।
पूज ले मानव श्री अरविन्दा,
कर भक्ति पूरन योगेश्वर की,
नित-नित चुन-चुन फूल चढ़ा ले,
उनके आगे झोली फैला दे।
प्रथम बना प्रेम स्वामी कूं,
गुरु चेतन से मुक्ति पा ले,
निराकार पा ले गुरु मन्दिर से,
श्रीअरविंद मार्ग, मुक्ति पा ले।
पूरन योगी शिव स्वरूपा….
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