arohanlive.com । सांस्कृतिक विरासत को सहेजना एक बड़ी चुनौती है। इन्ही में से है पुंगनूर प्रजाति की नन्ही गाय, जो दुनिया में सिर्फ भारत में ही हैं। इनके संरक्षण की जरूरत है।
ढाई से साढ़े तीन फीट तक ऊंची होती हैं गाय
पुंगनूर प्रजाति की ये बौनी नन्ही खूबसूरत “गौ माता” अधिकतम ढाई से साढ़े तीन फीट तक ऊंची होती हैं। गाय की यह प्रजाति आंध्रप्रदेश के चित्तूर जिले के पुंगनूर में पाई जाने के नाते ही पुंगनूर प्रजाति नाम पड़ा।
पूरी दुनिया में इस नस्ल की सिर्फ पांच से छह सौ गाय
पूरी दुनिया मे इस प्रजाति की केवल 500 से 600 गायें ही बची हैं, जहां सामान्य गायों में फैट 2.5 से 3.5% तक पाया जाता है वहीं पुंगनूर प्रजाति की गौ माता में फैट करीब 8% तक होता है। सबसे दिव्यता ये है कि ये 5 लीटर दूध देकर भी केवल एक दिन में 5 से 7 किलो ही सूखा भूसा आदि खाकर भी मस्त रहती हैं।
सांडों का बांध्यकरण से अस्तित्व खतरे में
सरकारों ने इनके सांडों का बंध्याकरण शुरू कर दिया, जिससे कि इनका अस्तित्व खतरे में है। जबकि ये प्रजाति अल्प भोजन में भी अत्यधिक पौष्टिक दूध देती हैं।
सांस्कृतिक विरासत खतरे में
हमे अपनी सांस्कृतिक विरासत को सहेजना चाहिए, चीता तो विदेश से आ सकता है, पर यह प्रजाति केवल हमारे ही देश मे मिलेगी।
गोस्वामी जी ने श्रीराम चरित मानस में लिखा है,
“गो द्विज धेनु देव हितकारी।
कृपा सिंधु मानुस तनु धारी।।”
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