आगरा (arohanlive.com) । मां सरस्वती का मानव को दिया गया अनमोल उपहार है वाणी। व्यक्तित्व विकास में कोमल वाणी का महत्व है। साहित्यकार, कवि एवं विचारक रहे श्री विश्वेश्वर दयाल अग्रवाल ने अपनी रचना- कोमल वाणी मधु का प्याला में शब्दों के माध्यम से इसे वट की छाया समान शीतलता का अहसास कराया है और अमृत समान शक्ति बताया है।
कोमल वाणी मधु का प्याला
(श्री विश्वेश्वर दयाल अग्रवाल)
कोमल वाणी मधु का प्याला,
पीया जिसने खूब सराहा,
मृदुल स्वभाव वट की छाया,
बैठा, उसने सुख पाया।
सुन्दरता है चेतन की शक्ति,
यह रचना है सम्मोहन की,
सुन्दरता है सत्य का लक्षण,
देखा जिसने खूब सराहा।
कोमलता वाणी की शक्ति है,
जिसने खोजा सत्य को,
वाणी को खूब सजाया,
मधुर वाणी अमृत स्वरूपा।
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