आगरा (arohanlive.com) । दो अक्टूबर का पुण्य दिवस भारतीय कालचक्र में महान दिन है। भारत माता की एक महान सन्तान मोहनदास करमचंद गांधी की पुण्य जन्म तिथि का। ऐसे महान सपूत का जिसने आदर्शो—जाति-देश और सत्य के लिए अपना जीवन अर्पित कर दिया।
आदर्शों के लिये सम्पूर्ण जीवन का समर्पण मानव चेतना चक्र में एक महान और क्रांतिकारी प्रतीक- अहिंसा सेवा, निष्काम प्रेम और कर्म देश और जाति के लिये। बलिदान कर्म के माध्यम से उच्चतम आध्यात्मिक विकास और तपस्या, सत्य को जीवन और सभी क्रिया से जोड़ना। अंधकार से प्रकाश के रूप में देश और जाति को प्रकाश और नेतृत्व देना, अमरता का संदेश देना देश और जाति को। नया सन्देश-नई प्रेरणा- राजनीति, आर्थिक और सामाजिक क्षेत्र में नई दिशा देना। सत्य के प्रकाश स्तम्भ, अहिंसा, सत्य सेवा कर्म की भावना में उच्चतम शिखऱ, अनौखे सन्त, सभी दृष्टि से दिव्य-सम्पूर्ण रूपान्तर। साहित्यकार, कवि एवं विचारक श्रीविश्वेश्वर दयाल अग्रवाल ने यह बात 2 अक्टूबर 1980 को अपनी डायरी में लिखी। महात्मा गांधी के दर्शन और विचारों पर उन्होंने अपनी पुस्तक सत्यदीप में गीत लिखा है- गांधी तोहि प्रणाम… इस गीत को राष्ट्रीय पर्व के अवसर पर कलाकारों ने संगीतमयी प्रस्तुति से भी सराबोर किया है।
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