आगरा(arohanlive.com) । महान विचारक, साहित्यकार, कवि एवं लेखक श्री विश्वेश्वर दयाल अग्रवाल की रचना- मन अपने को पहिचान में मन की चंचलता और उसे पहचानने के बारे में बड़े ही सजीव शब्दों में व्यक्त किया है।
मन अपने को पहिचान…
(श्री विश्वेश्वर दयाल अग्रवाल)
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