आगरा (arohanlive.com) । महाशिवरात्रि पर्व 18 फरवरी को है, कैसे करे अपने परमपिता परमेश्वर शिव की पूजा। पूजा-पाठ का शुभ समय, महाव्रत का पारण किस दिन और किस समय करें। विस्तृत जानकारी।
व्रत रखने से होती है मनोकामना पूर्ण
श्री गुरु ज्योतिष शोध संस्थान गुरु रत्न भण्डार वाले ज्योतिषाचार्य पंडित हृदय रंजन शर्मा के मुताबिक श्री महाशिवरात्रि का पर्व फाल्गुन कृष्ण पक्ष की त्रियोदशी तिथि के दिन मनाया जाता है। इस वर्ष यह उपवास 18फरवरी 2023 शनिवार के दिन का रहेगा। इस दिन का व्रत रखने से भगवान भोले नाथ शीघ्र प्रसन्न होकर, उपवासक की मनोकामना पूरी करते हैं। इस व्रत को सभी स्त्री-पुरुष, बच्चे, युवा, वृद्धों के द्वारा किया जा सकता हैं
अश्वमेघ यज्ञ के समान फल की प्राप्ति
18 फरवरी के दिन विधिपूर्वक व्रत रखने पर तथा शिवपूजन, रुद्राभिषेक, शिवरात्रि कथा, शिव स्तोत्रों का पाठ व “ॐ नम: शिवाय” का पाठ करते हुए रात्रि जागरण करने से अश्वमेघ यज्ञ के समान फल प्राप्त होता हैं। व्रत के दूसरे दिन यथाशक्ति वस्त्र-क्षीर सहित भोजन, दक्षिणादि प्रदान करके संतुष्ट किया जाता हैं।
चार प्रहर पूजन अभिषेक विधान
🌷प्रथम प्रहर- सायं 6:48 से रात्रि 9:58 तक
🌷द्वितीय प्रहर- रात्रि 9:58 से रात्रि 1:08 तक
🌷तृतीय प्रहर- रात्रि 1:08 से रात्रि 4:18 तक
🌷चतुर्थ प्रहर- रात्रि 4:18 से प्रातः 7:28 बजे तक पहर की गणना अपने स्थानीय सूर्योदय से करना विधि सम्मत है।
शिवरात्रि व्रत की महिमा
🌟 इस व्रत के विषय में यह मान्यता है कि इस व्रत को जो जन करता है, उसे सभी भोगों की प्राप्ति के बाद, मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह व्रत सभी पापों का क्षय करने वाला है, व इस व्रत को लगातार 14 वर्षो तक करने के बाद विधि-विधान के अनुसार इसका उद्धापन कर देना चाहिए
महाशिवरात्रि व्रत की विधि
🌻महाशिवरात्री व्रत को रखने वालों को उपवास के पूरे दिन, भगवान भोले नाथ का ध्यान करना चाहिए। प्रात: स्नान करने के बाद भस्म का तिलक कर रुद्राक्ष की माला धारण की जाती है। इसके ईशान कोण दिशा की ओर मुख कर शिव का पूजन धूप, पुष्पादि व अन्य पूजन सामग्री से पूजन करना चाहिए
“उँ नम: शिवाय” व ” शिवाय नम:” का जाप करें
🏵इस व्रत में चारों पहर में पूजन किया जाता है। प्रत्येक पहर की पूजा में “उँ नम: शिवाय” व ” शिवाय नम:” का जाप करते रहना चाहिए। अगर शिव मंदिर में यह जाप करना संभव न हों, तो घर की पूर्व दिशा में, किसी शान्त स्थान पर जाकर इस मंत्र का जाप किया जा सकता हैं। चारों पहर में किये जाने वाले इन मंत्र जापों से विशेष पुन्य प्राप्त होता है। इसके अतिरिक्त उपावस की अवधि में 4 पहर का रुद्राभिषेक करने से भगवान शंकर अत्यन्त प्रसन्न होते है
शिवपूजन में ध्यान रखने जैसे कुछ खास बाते
♦(१) स्नान कर के ही पूजा में बेठे
♦(२) साफ सुथरा वस्त्र धारण कर ( हो शके तो शिलाई बिना का तो बहोत अच्छा )
♦(३) आसन एक दम स्वच्छ चाहिए ( दर्भासन हो तो उत्तम )
♦(४) पूर्व या उत्तर दिशा में मुंह कर के ही पूजा करे
♦(५) बिल्व पत्र पर जो चिकनाहट वाला भाग होता हे वाही शिवलिंग पर चढ़ाये ( कृपया खंडित बिल्व पत्र मत चढ़ाये )
♦(६) संपूर्ण परिक्रमा कभी भी मत करे ( जहा से जल पसार हो रहा हे वहा से वापस आ जाये )
♦(७) पूजन में चंपा के पुष्प का प्रयोग ना करे
♦(८) बिल्व पत्र के उपरांत आक के फुल, धतुरा पुष्प या नील कमल का प्रयोग अवश्य कर शकते हे
♦(९) शिव प्रसाद का कभी भी इंकार मत करे ( ये सब के लिए पवित्र हे )
💥पूजन सामग्री
♦शिव की मूर्ति या शिवलिंगम, अबीर- गुलाल, चन्दन ( सफ़ेद ) अगरबत्ती धुप ( गुग्गुल ) बिलिपत्र बिल्व फल, तुलसी, दूर्वा, चावल, पुष्प, फल,मिठाई, पान-सुपारी,जनेऊ, पंचामृत, आसन, कलश, दीपक, शंख, घंट, आरती यह सब चीजो का होना आवश्यक है
💥पूजन करने का विधि-विधान
🍁महाशिवरात्री के दिन शिवभक्त का जमावडा शिव मंदिरों में विशेष रुप से देखने को मिलता है। भगवान भोले नाथ अत्यधिक प्रसन्न होते है, जब उनका पूजन बेल- पत्र आदि चढाते हुए किया जाता है। व्रत करने और पूजन के साथ जब रात्रि जागरण भी किया जाये, तो यह व्रत और अधिक शुभ फल देता है। इस दिन भगवान शिव की शादी हुई थी, इसलिये रात्रि में शिव की बारात निकाली जाती है। सभी वर्गों के लोग इस व्रत को कर पुन्य प्राप्त कर सकते हैं।
🔥पूजन विधि
🌺महाशिव रात्रि के दिन शिव अभिषेक करने के लिये सबसे पहले एक मिट्टी का बर्तन लेकर उसमें पानी भरकर, पानी में बेलपत्र, आक धतूरे के पुष्प, चावल आदि डालकर शिवलिंग को अर्पित किये जाते है। व्रत के दिन शिवपुराण का पाठ सुनना चाहिए और मन में असात्विक विचारों को आने से रोकना चाहिए। शिवरात्रि के अगले दिन सवेरे जौ, तिल, खीर और बेलपत्र का हवन करके व्रत समाप्त किया जाता है
इस दिन यह करें
🌹जो इंसान भगवन शंकर का पूजन करना चाहता हे उसे प्रातः कल जल्दी उठकर प्रातः कर्म पुरे करने के बाद पूर्व दिशा या इशान कोने की और अपना मुख रख कर .. प्रथम आचमन करना चाहिए बाद में खुद के ललाट पर तिलक करना चाहिए
🍁 महाशिवरात्रि का व्रत पूजापाठ शनिवार 18 फरवरी को रखा जाएगा। महाशिवरात्रि पूजाविधि अनुसार करने से भोलेनाथ की कृपा प्राप्त होती है। इस दिन शिवलिंग पर जल चढ़ाने मात्र से भगवान शिव प्रसन्न होकर भक्त को मनचाहा वरदान दे देते हैं। शिवरात्रि पूजा विधि के अनुसार शिवलिंग पर बेल पत्र चढ़ाने से मन की शांति प्राप्त होती है। अगर आप भी महाशिवरात्रि का व्रत रख रहे हैं तो बता दें कि शिवरात्रि व्रत का नियम भी होता है, अगर आपने शिव पूजा में महाशिवरात्रि व्रत के नियम का पालन किया तो शिवलोक की प्राप्ति अवश्य होगी
महाशिवरात्रि का शुभ मुहूर्त एवं शिवरात्रि पूजा विधि
🔥 महाशिवरात्रि 2023 तिथि : 18 फरवरी 2023
🔥 चतुर्दशी तिथि आरंभ :शनिवार 18फरवरी रात्रि08:02बजे से
🔥 चतुर्दशी तिथि समाप्त :रविवार19फरवरी सायंकाल04:18पर
🔥 निशिथ काल पूजा : 18 फरवरी दिन शनिवार की रात्रि, 24:07 से 24:57
🔥 पारण का समय : 06:46 से 10:26 (19फरवरी 2023)
महाशिवरात्रि व्रत पूजन विधि
🔥 महाशिवरात्रि के दिन गंगा स्नान कर भगवान शिव की आराधना करने वाले भक्तों महाशिवरात्रि व्रत पूजन विधि के अनुसार करने से इच्छित फल, धन, सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
🏵 महाशिवरात्रि व्रत का सबसे प्रमुख भाग उपवास होता है। सबसे पहले पानी में गंगाजल डाल कर स्नान करें।
🏵 स्नान आदि ने निवृत्त होने के बाद हाथ में अक्षत और गंगाजल लेकर महाशिवरात्रि व्रत का संकल्प लें।
🏵 संकल्प लेने के बाद सफेद वस्त्र धारण करें और किसी भी शिव मंदिर में जाकर शिवजी का पंचामृत से अभिषेक कराएं।
शंकर जी का अभिषके करने के लिए पंचामृत में दूध, दही, शहद, गंगाजल और काले तिल का उपयोग करें।
🏵 पंचामृत से अभिषेक के बाद शिवलिंग का विधि पूर्वक पूजन करें शिवलिंग बेल-पत्र, गाजर, बेर, धतूरा, भांग, सेंगरी और जनेव जरूर चढ़ाएं।
🏵 भगवान शिव जी का अभिषेक करने के पश्च्यात शिवपरिवार को केसर का तिलक करें और सफेद फूल की माला अर्पित करें।
🏵 महाशिवरात्रि पर भगवान का तिलक करने के बाद उन्हें स्वच्छ वस्त्र अर्पित करें और धूप-दीप शिवजी की पूजा करें।
🏵 शिव चालीसा का पाठ करने के बाद शिव जी की आरती करना ना भूलें।
🏵 आरती करने के बाद उत्तर दिशा की तरफ मुख करके ॐ नमः शिवाय मंत्र का 108 बार जाप करें। रात्रि में शिव जी का जागरण करना अनिवार्य है।
शिव आराधना में लीन रहते हुए अगली सुबह शिवजी को फल का भोग लगा कर स्वयं भी फल का सेवन कर व्रत खोलें।
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