आगरा (arohanlive.com) । कवि, साहित्याकार और विचारक रहे श्री विश्वेश्वर दयाल अग्रवाल रचना दुनिया एक झमेला है… में भ्रष्टाचार, अंधे स्वार्थ, अहम् से भरी दुनिया में प्रेम और ज्ञान से बचकर निकलने का संदेश दिया गया है।
दुनिया एक झमेला है
(श्री विश्वेश्वर दयाल अग्रवाल)_
बच के निकल जा ज्ञान गली से,
दुनिया एक झमेला है,
यह नगरी है काले धंधों की,
मृगतृष्णा का घेरा है,
विश्व रंगमंच है काल का,
माया जादूगरनी सब रचती है।
यह बस्ती अंधे स्वार्थ, अह्म की,
मानवता शैंता के घर गिरवी है,
लूट-मार यहां की भाषा है,
बेईमानी, फरेब का डेरा है,
टकरावों-संघर्षों की धरती है,
मौत यहां बहुत सस्ती है।
भोग-मौज यहां की मस्ती है,
यहां सबकुछ बिकता है,
भटकावों की नगरी है,
धोखा-धड़ी का डेरा है,
कोई नहीं, यहां अपना है,
झूठ-पाप का डेरा है।
भोगों में भटक जाने का जीवन नाम नहीं,
यह है खोज यात्रा अमर जीवन की,
छोड़ मोह, वासना के बंधन,
जड़ता-ममता में तत्व नहीं,
ले डगर पूर्ण चेतन की,
आत्माराम ही तेरा डेरा है।
बच के निकल जा ज्ञान मार्ग से…
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