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Chaitra Navratri from tomorrow: All wishes are fulfilled by worshiping Mata Rani, know Ghat and Kalash establishment and auspicious time

आगरा (arohanlive .com)। चैत्र नवरात्र 9 अप्रैल मंगलवार से है। घट स्थापना, कलश स्थापना, मुहूर्त के साथ जानें कैसे करे माता रानी की आराधना।

श्री गुरु ज्योतिष शोध संस्थान एवं गुरु रत्न भंडार वाले ज्योतिषाचार्य पं. हृदय रंजन शर्मा के मुताबिक इस नवरात्र मां जगदंबा घोड़े पर सवार होकर आएंगी और मनुष्य पर बैठकर जाएंगी ।

🌺घट स्थापना एवं माँ दुर्गा पूजन शुभ मुहूर्त

नवरात्र में घट स्थापना का बहुत महत्त्व होता है। शुभ मुहूर्त में कलश स्थापित किया जाता है। घट स्थापना प्रतिपदा तिथि में कर लेनी चाहिए। इसे कलश स्थापना भी कहते है।

शुभ मुहूर्त

दिवाकाल 10:45 से 01:54 बजे तक कलश स्थापना (जौ बोना) अधिक शुभ रहेगा। इस समय चौघड़िया मुहूर्त अनुसार चर, लाभ, अमृत के तीन अति उत्तम चौघड़िया मुहुर्त चल रहे होंगे जो घट स्थापना करने वाले व्यक्तियों के जीवन के हर कार्यों को पूर्ण करेंगे, ये समय सभी तरह से दोष मुक्त है। इसके बाद दोपहर अभिजित मुहूर्त 11:39 से 12:25 तक रहेगा इसमे भी घटस्थापना करना शुभ माना जाता है।

 

🍁नवरात्र की तिथियाँ

♦️पहला नवरात्र – प्रथमा तिथि, 09अप्रैल 2024, दिन मंगलवार माँ शैलपुत्री की उपासना।

 

♦️दूसरा नवरात्र – द्वितीया तिथि, 10 अप्रैल 2024, दिन बुधवार माँ ब्रह्मचारिणी की उपासना।

 

♦️तीसरा नवरात्र – तृतीया तिथि, 11अप्रैल 2024, दिन गुरुवार माँ चंद्रघंटा की उपासना।

♦️चौथा नवरात्र – चतुर्थी तिथि, 12अप्रैल 2024, शुक्रवार माँ कुष्मांडा की उपासना।

♦️पांचवां नवरात्र – पंचमी तिथि , 13 अप्रैल2024, शनिवार माँ स्कन्द जी की उपासना।

♦️छठा नवरात्र – षष्ठी तिथि, 14 अप्रैल 2024, रविवार माँ कात्यायनी की उपासना।

 

♦️सातवां नवरात्र – सप्तमी तिथि, 15अप्रैल 2024, सोमवार माँ कालरात्रि की उपासना।

♦️आठवां नवरात्र – अष्टमी तिथि, 16 अप्रैल2024, मंगलवार माँ महागौरी की उपासना।

♦️नौवां नवरात्र – नवमी तिथि, 17 अप्रैल 2024, बुधवार माँ सिद्धिदात्री की उपासना।

 

🌸घट स्थापना एवं दुर्गा पूजन की सामग्री

👉 जौ बोने के लिए मिट्टी का पात्र। यह वेदी कहलाती है।

👉 जौ बोने के लिए शुद्ध साफ़ की हुई मिटटी जिसमे कंकर आदि ना हो।

👉 पात्र में बोने के लिए जौ ( गेहूं भी ले सकते है )

👉 घट स्थापना के लिए मिट्टी का कलश ( सोने, चांदी या तांबे का कलश भी ले सकते है )

👉 कलश में भरने के लिए शुद्ध जल

👉 नर्मदा या गंगाजल या फिर अन्य साफ जल

👉 रोली , मौली

👉 इत्र, पूजा में काम आने वाली साबुत सुपारी, दूर्वा, कलश में रखने के लिए सिक्का ( किसी भी प्रकार का कुछ लोग चांदी या सोने का सिक्का भी रखते है )

👉 पंचरत्न ( हीरा , नीलम , पन्ना , माणक और मोती )

👉 पीपल , बरगद , जामुन , अशोक और आम के पत्ते ( सभी ना मिल पायें तो कोई भी दो प्रकार के पत्ते ले सकते है )

👉 कलश ढकने के लिए ढक्कन ( मिट्टी का या तांबे का )

👉 ढक्कन में रखने के लिए साबुत चावल

👉 नारियल, लाल कपडा, फूल माला

,फल तथा मिठाई, दीपक , धूप , अगरबत्ती

 

🌷भगवती मंडल स्थापना विधि

जिस जगह पूजन करना है उसे एक दिन पहले ही साफ सुथरा कर लें। गौमुत्र गंगाजल का छिड़काव कर पवित्र कर लें।

सबसे पहले गौरी गणेश जी का पूजन करें।

 

भगवती का चित्र बीच में उनके दाहिने ओर हनुमान जी और बायीं ओर बटुक भैरव को स्थापित करें। भैरव जी के सामने शिवलिंग और हनुमान जी के बगल में रामदरबार या लक्ष्मीनारायण को रखें। गौरी गणेश चावल के पुंज पर भगवती के समक्ष स्थान दें।

मैं एक चित्र बना कर संलग्न किये दे रहा हूं कि कैसे रखना है सारा चीज। मैं एक एक कर विधि दे रहा हूं। आप बिल्कुल आराम से कर सकेंगे।

 

🌟दुर्गा पूजन सामग्री

पंचमेवा पंच​मिठाई रूई कलावा, रोली, सिंदूर, अक्षत, लाल वस्त्र , फूल, 5 सुपारी, लौंग,  पान के पत्ते 5 , घी, कलश, कलश हेतु आम का पल्लव, चौकी, समिधा, हवन कुण्ड, हवन सामग्री, कमल गट्टे, पंचामृत ( दूध, दही, घी, शहद, शर्करा ), फल, बताशे, मिठाईयां, पूजा में बैठने हेतु आसन, हल्दी की गांठ , अगरबत्ती, कुमकुम, इत्र, दीपक, , आरती की थाली. कुशा, रक्त चंदन, श्रीखंड चंदन, जौ, ​तिल, माँ की प्रतिमा, आभूषण व श्रृंगार का सामान, फूल माला।

☀️घट स्थापना एवं दुर्गा पूजन की विधि

सबसे पहले जौ बोने के लिए एक ऐसा पात्र लें जिसमे कलश रखने के बाद भी आस पास जगह रहे। यह पात्र मिट्टी की थाली जैसा कुछ हो तो श्रेष्ठ होता है। इस पात्र में जौ उगाने के लिए मिट्टी की एक परत बिछा दें। मिट्टी शुद्ध होनी चाहिए । पात्र के बीच में कलश रखने की जगह छोड़कर बीज डाल दें। फिर एक परत मिटटी की बिछा दें। एक बार फिर जौ डालें। फिर से मिट्टी की परत बिछाएं। अब इस पर जल का छिड़काव करें।

कलश तैयार करें। कलश पर स्वस्तिक बनायें। कलश के गले में मौली बांधें। अब कलश को थोड़े गंगा जल और शुद्ध जल से पूरा भर दें। कलश में साबुत सुपारी , फूल और दूर्वा डालें। कलश में इत्र , पंचरत्न तथा सिक्का डालें। अब कलश में पांचों प्रकार के पत्ते डालें। कुछ पत्ते  थोड़े बाहर दिखाई दें इस प्रकार लगाएँ। चारों तरफ पत्ते लगाकर ढ़क्कन लगा दें। इस ढ़क्कन में अक्षत यानि साबुत चावल भर दें।

नारियल तैयार करें

नारियल को लाल कपड़े में लपेट कर मौली बांध दें। इस नारियल को कलश पर रखें। नारियल का मुँह आपकी तरफ होना चाहिए। यदि नारियल का मुँह ऊपर की तरफ हो तो उसे रोग बढ़ाने वाला माना जाता है। नीचे की तरफ हो तो शत्रु बढ़ाने वाला मानते है , पूर्व की और हो तो धन को नष्ट करने वाला मानते है। नारियल का मुंह वह होता है जहाँ से वह पेड़ से जुड़ा होता है। अब यह कलश जौ उगाने के लिए तैयार किये गये पात्र के बीच में रख दें। अब देवी देवताओं का आह्वान करते हुए प्रार्थना करें कि ” हे समस्त देवी देवता आप सभी नौ दिन के लिए कृपया कलश में विराजमान हों “।

 

आह्वान करने के बाद ये मानते हुए कि सभी देवता गण कलश में विराजमान है। कलश की पूजा करें। कलश को टीका करें , अक्षत चढ़ाएं , फूल माला अर्पित करें , इत्र अर्पित करें , नैवेद्य यानि फल मिठाई आदि अर्पित करें। घट स्थापना या कलश स्थापना के बाद दुर्गा पूजन शुरू करने से पूर्व चौकी को धोकर माता की चौकी सजायें। आसन बिछाकर गणपति एवं दुर्गा माता की मूर्ति के सम्मुख बैठ जाएं. इसके बाद अपने आपको तथा आसन को इस मंत्र से शुद्धि करें

 

“ॐ अपवित्र : पवित्रोवा सर्वावस्थां गतोऽपिवा। य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तर: शुचि :॥”

इन मंत्रों से अपने ऊपर तथा आसन पर 3-3 बार कुशा या पुष्पादि से छींटें लगायें

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