आगरा(arohanlive.com) । किसी के प्रति बैर भाव रखना किसी पाप से कम नहीं है। श्री अरविंद दर्शन के महान विचारक, साहित्यकार, कवि एवं लेखक श्री विश्वेश्वर दयाल अग्रवाल ने बैर बराबर पाप नहीं अपनी रचना में बैर के दोष मित्रता के गुणों का बड़े ही प्रभावी तरीके से वर्णन किया है।
बैर बराबर पाप नहीं…
(श्री विश्वेश्वर दयाल अग्रवाल)
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