आगरा (arohanlive.com) ।
गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः॥
अर्थात, “गुरु ब्रह्मा हैं, गुरु विष्णु हैं, गुरु हि शंकर हैं; गुरु हि साक्षात् परब्रह्म हैं। गुरु पूर्णिमा पर्व पर १३ जुलाई को सुबह महर्षि अरविंद, श्री मां और सद् गुरु, साहित्यकार, कवि एवं विचारक संतश्री विश्वेश्वर दयाल अग्रवाल का भक्तों द्वारा पूजन किया जाएगा।
(संतश्री विश्वेश्वर दयाल अग्रवाल )
श्री दयाल द्वारा रचित सद् गुरु महर्षि अरविंद के भजन होंगे। श्री दयाल के गुरु आराधना में लिखे गए भजनों का आप भी आनन्द लीजिये।
श्री अरविंदाय नमः
श्री गुरु रवि उदयो उर मंडल,
चेतन लाली जीवन भर दो,
स्वर्ण कमल खिला दो पूर्ण सत्य,
धुंधला जीवन प्रकाशित कर दो।
दोष मिटा दो अज्ञान अहम्,
शांति अमृत, घट भर दो,
भाग्य जगा दो दास के,
अपने रंग में, पूरा रंग लो।
गांठ खोल देहु माया की,
चरनदास, सब भय हर लो,
भेदभाव मिटावो ऊंच-नीच,
सग रहस्य अनावृत कर दो।
सन्मुख राखो दास,
विरह पीड़ा हर लो,
आनन्द अमृत, घट भर दो,
दयाल यात्रा पूरी कर दो।।
प्रकाश में स्थिर कर दो….
श्री विश्वेश्वर दयाल अग्रवाल की एक और भजन प्रस्तुति
मेरे गुरु श्री अरविंद हैं…
मेरे गुरु श्री अरविंद हैं
ताके लागूं पांव
हाथ जोड़ विनती करूं
हृदय रहो श्री भगवान।।
मेरे ईष्ट श्री अरविंद हैं,
जहां लुटाऊं प्रान,
पांव पकरि विनती करूं,
आवो श्री कृपा निधान।
मेरे गुरु श्री अरविंद हैं,
ताहि लगाऊं ध्यान,
दिन-रात प्रतीक्षा करूं,
अब न भटकाओ राम।
मेरे कृष्ण श्री अरविंद हैं,
ताहि बनाऊं खेवनहार,
भवसागर पार करूं कृपा से,
जग से लूं विश्राम।
मेरे गुरु श्री अरविंद हैं…
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