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Guru Purnima Festival: Sad Guru Brahma…

आगरा (arohanlive.com) । सब धरती कागज करूँ, लिखनी सब बनराय, सात समुद्र की मसि करूँ, गुरु गुण लिखा न जाए।

अर्थात पृथ्वी के सभी कागज, जंगल की सभी कलम, सातों समुद्रों को स्याही बनाकर लिखने पर भी गुरु के गुण नहीं लिखे जा सकते। गुरु हमारे जीवन में हमारा उचित मार्गदर्शन करते हैं और हमें सही राह पर ले जाते हैं। हमारे जीवन में शिक्षा का प्रकाश लाने वाले हमारे गुरुओं के पास हमारे जीवन की असंख्य परेशानियों का हल होता है। गुरु पूर्णिमा पर्व पर ऐसे ही सद्गुरु, साहित्यकार, कवि एवं विचारक रहे श्री विश्वेश्वर दयाल अग्रवाल ने अपने गुरु श्रीअरविंद की आराधना की है अपने भजन – सद् गुरु ब्रह्म में।

(श्री विश्वेश्वर दयाल अग्रवाल)

सद् गुरु ब्रह्म

सद्गुरु नेमि पूरन योगी,

सद्गुरु कोटि भगवाना,

सद्गुरु पद परमेश्वर,

सद् गुरु रवि चेतन के,

सद्गुरु द्वार मुक्ति के,

सद्गुरु कल्याण स्वरूपा।

श्री अरविंद नाम पूरन योगी,

श्री अरविंद नटराज स्वरूपा,

श्री अरविंद घट-घट के वासी,

श्री अरविंद करुणा के सागर,

श्री अरविंद रक्षक भक्तन के,

श्री अरविंद धन्वंतरि सब व्याधिन के।

जो कोई श्री अरविंद शरण गति आवै,

पूरन सत्य को निश्चय पावै,

चढ़े जहाज श्री अरविंद चेतन,

भव सागर तर जावै,

बाहिर आवै अंधियारे ते,

मन आलोकित हो जावै।

छुट्टी मिले काल-माया ते,

मां सावित्री घर आवै,

सिद्ध हों सभी कार्य भक्तों के,

श्री गुरु चेतन से आत्मा पावै,

बन्धन खुलें जीवात्मा के,

सद् गुरु कृपा से  मुक्ति पावै।।

ऊं श्री अरविंदाय नमः…

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