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सद् गुरु बिनु राह न पावै…

आगरा (arohanlive.com) । विश्व को सत्य, अंहिसा और वैराग्य का संदेश देने वाले भगवान बुद्ध की आज जयंती है। इस मौके पर श्री अरविंद अनुयाई रहे श्री विश्वेश्वर दयाल अग्रवाल की कविता सद्गुरु बिनु राह न पावै है, जिसमें उन्होंने वैराग्य, ब्रह्मचर्य के साथ आरोहण को प्राप्त करने और इसके लिए गुरु की राह को महत्वपूर्ण बताया है, जो बुद्ध जयंती पर भी प्रासंगिक होती है।

सद्गुरु बिनु राह न पावै

श्री विश्वेश्वर दयाल अग्रवाल

(श्री विश्वेश्वर दयाल अग्रवाल)

आशक्ति, भंवर बंधन

बिन वैराग्य ना कोई उत जावै

डूबै नाव मोह बीच सागर

आत्मा राम कूं जीव न पावै।

ब्रह्मचर्य वैराग्य आरोहण शक्ति

बिनु निर्मोह जीव राह न पावै

सद्गुरु बिन ना उत जावै

बिनु कृपा ना विश्वास पावै।

अनाशक्ति योग द्वार आत्मा

वैराग्य बिनु आत्मा सिन्धु  आवै

टूटे न बन्धन भक्ति के

आरोहण पूरौ न हो पावै।

सुनरे मानव, मानव पुकार आत्मा

तृष्णा संस्कृति कूं बिसार

तोड़ बन्धन धरती के

वैराग्य पथ मुक्ति पा ले।

बिन गुरु मार्ग ना पावै…

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