आगरा, Arohanlive.com।(मयंक यादव) होली पर्व पर 499 साल बाद अत्यंत दुर्लभ संयोग बन रहा है। होलिका दहन पूजा-पाठ एवं गुलालो का प्रभाव, होली स्थापना एवं होलिका दहन का शुभ मुहूर्त की विस्तृत जानकारी।
श्रीगुरु ज्योतिष शोध संस्थान, गुरु रत्न भंडार अलीगढ़ के ज्योतिषाचार्य पंडित हृदय रंजन शर्मा ने बताया इससे पहले दुर्लभ संयोग सही 499 वर्ष पहले होली के दिन ही था, जब ग्रहों का संयोग ऐसा ही था जब यह दुर्लभ संयोग पड़ा था इस बार होली पर 28 मार्च 2021 दिन सोमवार उत्तराफाल्गुनी/हस्त नक्षत्र” होने के चलते “ध्वज योग” बन रहा है जो सभी राशियों के जातकों को “यश, कीर्ति ,विजय” प्रदान करने वाला योग माना जाएगा।
दूसरी तरफ सोमवार को “पूर्णिमा तिथि” होने के कारण चंद्रमा का धरती पर प्रभाव अधिक रहेगा क्योंकि सोमवार स्वयं चंद्रमा का दिन माना जाता है इस बार होली पर मकर राशि स्थित नीच के गुरु की दृष्टि चंद्रमा पर पड़ रही है जिससे “गजकेसरी योग “का दुर्लभ संयोग भी बन रहा है। इस बार शुभ तिथि नक्षत्र और ग्रहों की विशेष स्थिति होने के कारण होलिका दहन पर रोग शोक और दोष का नाश अवश्य ही होगा हर प्रकार से शत्रुओं पर विजय भी प्राप्त होगी “इस बार होली पर शुक्र अपनी उच्च मीन राशि मै, मंगल और राहू वृषभ राशि मै,गुरू और शनि मकर राशि में , और बुध कुंभ ,चंद्रमा कन्या राशि में स्थित रहेगा” ग्रहों के शुभ संयोग में होली आने से यह शुभ फल देने वाली मानी जाएगी।
इस बार होलिका दहन के समय “भद्राकाल (भद्रा)” नहीं होगा, फाल्गुन माह की पूर्णिमा यानी होलिका दहन के दिन भद्रा काल (भद्रा )सुबह सूर्योदय से प्रारंभ होकर दोपहर 12:58 तक समाप्त हो जाएगी, इस दिन पूर्णिमा तिथि रात 12:17 बजे तक मान्य रहेगी इसी दिन घरों ,गली-मोहल्लों व चौराहों पर माता होलिका की स्थापना की जाती है यह त्योहार फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को ही पूरे देश में मनाया जाता है इस दिन भक्त प्रहलाद की बुआ होलिका को जलाया गया था ,उसी दिन से यह त्योहार पूरे भारतवर्ष में मनाया जाता है।
होली का स्थापना एवं पूजन
होली का स्थापना एवं पूजन हेतु शुभ मुहूर्त- विश्व प्रसिद्ध चौघड़िया मुहूर्त अनुसार प्रातः 07:55 से दोपहर 12:55मिनट तक चर, लाभ ,अमृत के तीन बहुत ही बेहतरीन चौघड़िया मुहूर्त उपलब्ध रहेंगे, जिनमें चौराहे या गली मोहल्लों की होली का स्थापना हेतु एवं पूजा पाठ हेतु अति सुंदर महूर्त कहे जा सकते हैं। इसमे होलिका की स्थापना करना एवं पूजा पाठ करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होंगी। इसके बाद घर मे रखी जानेवाली होलिका का शुभ समय भी प्रातः 07:55 से 12:25 तक इस समय शुभ माना जाएगा। महिला व घर के लोगों के लिए पूजा का सर्वश्रेष्ठ समय दोपहर 01:55 से 03:27 कहा जा सकता है इस समय “शुभ”का विश्व प्रसिद्ध चौघड़िया मुहूर्त उपलब्ध रहेगा।
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त
होलिका दहन के लिए सर्वश्रेष्ठ शुभ मुहूर्त शाम 06:35मिनट से रात 10:55 बजे तक उपलब्ध रहेंगे। इसी समय में “शुभ,अमृत एंव चर”की चौघड़िया मुहूर्त चल रही होंगी, जो होलिका दहन के लिए सर्वोत्तम कही जा सकती हैं। इस समय में सामूहिक चौराहों व गली-मोहल्लों की होलिका दहन करना शुभ रहेगा। इस सबके अलावा रात 3:30 से प्रात:05:35 तक” शुभ, अमृत” के दोचौघड़िया मुहूर्त उपलब्ध होंगे, जो घरों की होलिका दहन के लिए सर्वश्रेष्ठ कहे जा सकते हैं
पूजन विधि –
इस दिन व्रत रखते हैं। दोपहर को हनुमान जी की पूजा होती है, जैसे दीपावली वाले दिन की जाती है, दोपहर को होली का को पूजने जाती हैं एक थाली में एक घंटीपानी ,कच्चा सूत, हल्दी ,चावल थोड़ा सा आटा गुड, दाल ,घी 8 पूरी हलवा, छोटी-छोटी गुजिया, दीपक , गुलरियों की माला ,1.रुपया ,नमक की डेली होली पूजन करके आते हैं, फिर भोजन करते हैं ,फिर अपने घर के आंगन में होलिका की स्थापना करते हैं ।सर्वप्रथम आटे व गुलाल का चौक बनाकर उसके ऊपर गुलरियोकी माला लगाते हैं मालाये बड़ी से छोटी क्रमशा होती हैं, परिवार के लोगों के हिसाब से जोकी बालियों की गड्डियां बनाते हैं। चौराहे की सामूहिक होलिका पूजकर आते हैं, उसी की आग से घरो कि होलिका जलाते हैं। पूजन करते समय होलिका माता की परिक्रमा भीलगाते हैं, जो की बालियां भी भूनते है, जिन घरों में पुत्र की शादी हुई हो या पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई उन घरों में मंगल गीत गाए जाते हैं। बड़ों के पैर छूकर आशीर्वाद लेते हैं।
गुलालो का प्रभाव
1-लाल गुलाल से ठाकुर जी का तिलक करने से क्रोध नहीं आएगा घर में खुशहाली बनेगी
2- पीले रंग के गुलाब से ज्ञान बुद्धि ,विद्या ,विवेक की प्राप्ति होती है पूरे वर्ष बच्चों की पढ़ाई लिखाई में उन्नति होगी
3- गुलाबी रंग के गुलाल से समाज में मान प्रतिष्ठा ,प्रेम संबंध मधुर होते हैं एवं समाज में रुतबा बढ़ता है
4- सफेद चंदन या केसर के तिलक लगाने से सुख-समृद्धि या लक्ष्मी की प्राप्ति पूरे वर्ष होती है
5- हरे रंग का गुलाल लगाने से उन्नति, लाभ बढ़े व रोगों मे कमी आयेगी
6- सात रंगों के गुलाल से सभी प्रकार की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है वह पूरे परिवार में हर प्रकार की खुशहाली बनी रहती है
-राशियों के अनुसार गुलाल रंगोव इत्र का प्रयोग
– मेष और वृश्चिक – लाल, केसरिया रंग गुलाल हिना, केवड़ा का इत्र या सेंट
– वृषभऔर तुला- सफेदारंग, सफेद चंदन ,केसर ,चंपा, चमेली का इत्र यासेंट
– मिथुन और कन्या- हरा रंग, गुलाल खसका इत्र या सेंट
– कर्क और सिंह- सफेद,लाल, गुलाबी रंग या गुलाल, चंदन का इत्र बेला का इत्र ,सेंट
– धनु और मीन -पीला रंग गुलाल पीला चंदन गुलाल चमेली ,हिना का इत्र या सेंट
– मकर और कुंभ -नीला काला बैंगनी रंग या गुलाल काला भूत सेंट ,कोबरा ,चंदन का इत्र या सेंट
-राशियों पर शुभ और अशुभ प्रभाव क्या होंगे दोनों दिन
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