आगरा (arohanlive.com)। भारत सहित समूचा विश्व कोरोना महामारी से जूझ रहा है। कोरोना महामारी की दूसरी लहर भारत में कहर मचाए हुए है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अभी हाल ही अपने भाषण में इस अदृश्य दुश्मन (कोरोना) से लड़ने और विजयी होने की बात कही है। ऐसी ही एक कविता है परीक्षा की घड़ी आई, जो साहित्यकार, विचारक एवं कवि रहे श्री विश्वेश्वर दयाल अग्रवाल ने दशकों पूर्व किसी संदर्भ में लिखी, जो आज के समय में प्रासंगिक है।
इस कविता में श्री दयाल ने कोरोना जैसे छुपे दानव से लड़ने का युवाओं का आह्वान किया है। संघर्ष के इस पथ पर महाकाली रूप धारण कर लड़ने की बात कही है। कविता इस घड़ी में लोगों को संबल प्रदान करने के साथ विजयी होने का संदेश देती है।
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